देहरादून। जौनसार बावर के साहित्य, ऐतिहासिक तथा मानव विज्ञान से संबंधित आज तक जो भी लिखा है वह अधिकतर बहार के लोगों ने लिखा है और उन्होंने यहां की संस्कृति, साहित्य व इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया इसके कारण अतीत काल में जौनसार बावर की छवि आम जनमानस के सामने धूमिल हुई है। इन्हीं तथ्यों को सुधारते हुए जौनसार बावर के हाजा गांव निवासी, कोस्ट गाड के पूर्व अपर महानिदेशक कृपाराम नौटियाल ने एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम Beyond Polyandry है इस पुस्तक में उन्होंने जौनसार बावर के परंपरागत रीति रिवाज, सहकारीता की भावना, रहन-सहन, खान पान आदि बातों को स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया है और विश्व के अन्य जनजातीय के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर जौनसारी समाज की वास्तविकताओं को आधुनिक नजरिए से आम जनमानस के सामने प्रस्तुत किया।
पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा है कि जौनसार बावर अपने आप में यूनिक है इसीलिए समान नागरिक संहिता से जनजातीय क्षेत्र होने के नाते इसको बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा की मुगलों के आक्रमण के समय वीर नतराम नेगी ने और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में वीर शहीद केसरी चंद आदि लोगों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस क्षेत्र का नाम ऊंचा किया है।
उन्होंने ऐतिहासिक पक्ष को समझाते हुए कहा कि यदि हिमालय को समझना हो तो पहले कालसी को समझना होगा, इसी कारण लोकसभा के नए भवन में लगे अखंड भारत के मानचित्र पर कालसी का उल्लेख है। उन्होंने कहा है कि जौनसार बावर का कालसी एक सामान्य शहर नहीं है, कल्प ऋषि आदि के उदाहरण देकर उन्होंने कालसी के महत्व को समझाया।
विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने जौनसार बावर की सहकारिता की भावना, यहां के वैभव संपन्न इतिहास के बारे में बताया और कहा है कि हमें जौनसारी होने पर गर्व होना चाहिए क्योंकि जौनसार बावर की जो परंपरागत जीवन जीने की शैली है उस पर वर्तमान समय में लोग शोध कर रहे हैं और हर समाज इस प्रकार का जीवन जीना चाहता है।
पुस्तक के लेखक कृपाराम नौटियाल ने कहा है कि 4 वर्ष तक उन्होंने इस पुस्तक के लिए अध्ययन किया है और पुस्तक का सार यही है कि जो पूर्व में अनेक हिंदी और अंग्रेजी के साहित्यकारों ने जौनसार बावर के संस्कृति को विकृत करने का प्रयास किया है उन्हें इस क्षेत्र की वास्तविकता बताने के लिए पुस्तक लिखी गई है। उन्होंने कहा है कि बाहर के तथाकथित अंग्रेजी साहित्यकारों ने जौनसार बावर क्षेत्र की बहुपति प्रथा को विषय बनाकर बदनाम किया गया है जबकि इसके आगे इस क्षेत्र के बारे में बहुत कुछ लिखा जाना था। विश्व की विभिन्न जनजातियों में इस प्रकार की अनेक ऐसी प्रथाएं हैं जो आश्चर्य चकित करने वाले रिश्तो का आपस में संबंध है।
कार्यक्रम में पूर्व मुख्य सचिव एन एस नपचियाल ने जौनसार बावर को पृथक जनपद बनाए जाने की बात भी कई और इसका मुख्यालय चकराता में होने का सुझाव भी दिया। इस मौके पर जौनसार बावर क्षेत्र के अनेक बुद्धिजीवी उपस्थित थे अनेक महिलाएं पुरुष अपने पारंपरिक वेश में कार्यक्रम में मौजूद थे।