(नीरज उत्तराखंडी )
देहरादून। गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्रांतर्गत रूपीन रेंज में वनाग्नि बुझानें समेत वन्य जीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण में सहयोग देने को लेकर पार्क प्रशासन ने मोरी सुदूरवर्ती क्षेत्रों फतेपवत पट्टी के डेढ़ दर्जन गांव के महिलाओं व ईको विकास समिति के सदस्यों, अध्यक्षों को सिलाई मशीनें आदि उपकरण बांटकर स्वरोजगार को लेकर अनोखी पहल शुरू की।
पार्क प्रशासन ने निरीक्षण वन विभाग भवन सट्टा में वनाग्नि रोकथाम,मानव एवं जीव संघर्स रोकथाम को आयोजित गोष्ठी में ईको विकास समितियों,महिला मंगल दलों एवं क्षेत्र युवाओं के साथ चर्चा कर जंगल के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन यापन करनें वाले किसानों व भेड़ बकरी पालकों से सुझाव मांगें। पार्क प्रशासन ने पार्क क्षेत्रांतर्गत निवास करनें वाली ईको विकास समितियों को सुदृढ़ीकरण तथा स्वरोजगार के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनानें पर विशेष प्रयास करनें का संकल्प लिया।
पार्क उप निदेशक डॉ अभिलाषा सिंह ने बताया कि प्रथम चरण में पार्क क्षेत्र के रूपिन रेंज दोणी, सट्टा, सेवा, बरी, मसूरी व भीतरी, ग्वालगांव,खन्यासणी,पुजेली खन्ना, नुराणु, हडवाडी एवं देवल आदि गांव की ईको विकास समिति के सदस्य व अध्यक्ष खासकर महिलाओं को वनाग्नि रोकथाम तथा वन्य जीवों की सुरक्षा,संरक्षण में सहयोग देनें वालों को स्वरोजगार के माध्यम आर्थिकी सुधारनें को 15 सिलाई मशीन एवं सिक्योर हिमालय योजना के तहत वन्य जीवों से आत्म सुरक्षा को टार्च,टीफन व सुरक्षा उपकरण बांटें गये हैं साथ ही महिला समूहों को गांव में पंरपरागत ऊनी कपडे सिलाई, कटाई कर स्वरोजगार के रूप में आत्म निभर बनने को लेकर स्वरोजगार परक जानकारी व प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
ईको विकास समितियां किस प्रकार से जंगलों की सुरक्षा,मानव व जानवरों के बीच संघर्ष को रोका जा सके,वनों से स्वरोजगार कैसे अर्जित किया जाये को लेकर पड़ोसी राज्य हिमाचल का एक्सपोजर टूर करायें जा रहे हैं। इस मौके पर रेंज अधिकारी समेत पार्क कर्मचारी एवं इको विकास समितियों के अध्यक्ष,सदस्य व ग्रामीण मौजूद थे।