➡️ 27 जनवरी 1914 थैना से लखवाड के लिए प्रस्थान।
➡️ 1940 में खत शैली के दोहा गांव में महाराज प्रवास पर रहे ।
➡️ 1943 में खत कोरु के ग्राम कचटा से रंगीयो मे एक रात के लिए (बागड़ी) देवता का प्रवास रहा !
➡️ 1943 में रंगीयो से ग्राम कोटा खत तपलाड में देवता का प्रस्थान हुआ 2 वर्ष यहां रहने के पश्चात
➡️ 1945 में ग्राम कोटा खत तपलाड से दोष निवारण के लिए धुमी स्याणा ने देवता का प्रवास ग्राम थैला में करवाया।
➡️ 19 दिसंबर 1953 को ग्राम थैना से पिपाया खत फरटाड एक रात (बागड़ी) ।
➡️ 20 दिसंबर 1953 को पिपाया से लखवाड आगमन।
➡️ 11 मई 1956 को लखवाड से ग्राम बडनू आगमन एक रात्रि (बागड़ी)
➡️ 12 मई 1956 को बड़नू से जिसोऊ लिए प्रस्थान ।
➡️ 1957 में जिसोऊ से कचटा खत कोरु (30 वर्ष कचटा मे महाराज प्रवास पर रहे।)
➡️ 1987 मे कचटा से थैना प्रवास पर गए, (17 साल तक थैना मे प्रवास पर रहे।)
➡️ 22 नवंबर 2004 थैना से पिपाया खत फरटाड (एक रात बागड़ी के लिए)
➡️ 23 नवंबर 2004 पिपाया से लखवाड (7 वर्ष लखवाड़ प्रवास रहे!)
➡️ 22 मई 2011 को लखवाड से बडनू खत शीली गोथान (एक रात बागड़ी के लिए।)
➡️ 23 मई 2011 बड़नू से जिसोऊ घराना के लिए प्रस्थान। (3 वर्ष तक जिसोऊ प्रवास पर रहे)
➡️ 10 मई 2014 को जिसोऊ से ग्राम चंन्दोऊ खत अठगाव के लिए प्रस्थान (2 साल तक चन्दोऊ प्रवास पर रहे।)
➡️ 9 जून 2016 चंन्दोऊ खत अठगांव से देवता ने नाराया खत बमटाड के लिए प्रस्थान किया। (नराया मे 2 साल तक प्रवास किया!)
➡️ 16 जून 2018 को नाराया से एक रात बागड़ी के लिए बिमोऊ खत उपलगांव में देवता का प्रवास रहा।
➡️ 17 जून 2018 को विमोऊ से रंगीयो के लिए प्रस्थान किया (बागड़ी) एक रात रंगीयो में।
➡️ 18 जून 2018 को रंगिया से देवता ने कोटा तपलाड के लिए प्रस्थान किया। (4 वर्ष तक कोटा तपलाड में रहे कोरोना काल के दौरान)
➡️ 30 जून 2022 को कोटा तपलाड से घणता खत बणगांव गांव के लिए प्रस्थान।
▶️ 16 जून 2024 से घणता से दोहा के लिए प्रस्थान। (2 वर्ष दोहा में प्रवास के पश्चात 2026 में दोहा से चालदा महाराज खत कोरू के लिए प्रस्थान करेंगे।
खत कोरू में 5 वर्षों तक देवता प्रवास पर रहेंगे और प्रत्येक वर्ष मां यमुना जी (मरोड) स्नान के लिए जाएंगे।
आगे प्रभु की इच्छा।