लाखामंडल। स्थित शिव मंदिर की सीडियां चढ़ाने से पहले ही दाहिने तरफ परंपरागत मकान में आधुनिक तकनीकी का उपयोग करते हुए मनोज गौड ने होमस्टे बनाया गया है। बाहर से आने वाले पर्यटक “गौड होम स्टे” में जौनसारी रीति रिवाज में ही रहना पसंद करते हैं परंपरागत देवदार के बने इस मकान के अंदर डबल बेड नहीं है, बल्कि देवदार के लकड़ी से बने हुए फर्श के ऊपर ही पर्यटक एक रिश्तेदार की तरह बड़े आत्मीयता से सोते हैं।
प्रातः काल पर्यटकों की नींद शिव मंदिर की घंटियां बजने ही खुल जाती है पर्यटकों को सुबह के नाश्ते में स्थानीय स्तर पर जैविक प्रक्रिया से तैयार किए गए पकवान परोशे जाते हैं। बाहर से आने वाले पर्यटकों को स्थानीय बोली भाषा यहां की लोक संस्कृति, रहन-सहन जौनसार बावर की सामूहिक जीवन पद्धति के बारे में भी बताया जाता है।
मनोज गौड उच्च शिक्षित युवा है वह रोजगार की तलाश में देहरादून, सेलाकुई नहीं गए उन्होंने स्थानीय स्तर पर अपने 200 वर्ष पुराने पैतृक पारंपरिक मकान को आधुनिक रूप से तैयार किया और उसे होमस्टे बनाकर स्वरोजगार प्रारंभ किया। जहां पर बड़ी संख्या में लोग आकर रुकते हैं। मनोज स्वयं तो आत्मनिर्भर हो ही रहे हैं साथ में दो-तीन और बेरोजगारों को भी रोजगार दे रहे हैं।
मुझे खुशी है कि पहाड़ के युवा होमस्टक की और आगे बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से मनोज से प्रेरणा लेकर अन्य युवा भी इस प्रकार के स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनेंगे।
+918126001640
गौड होमस्टे बुकिंग के लिए इस नंबर का उपयोग कर सकते हैं।