देहरादून। जौनसार बावर में शायद कम लोगों को यह जानकारी है कि जिस प्रकार प्रसिद्ध केदारनाथ मन्दिर गढ़वाल में स्थित है उसी प्रकार का एक केदारनाथ मन्दिर जौनसार के खत बौन्दूर के भटाड गांव में भी स्थित है। कास्ट कला का अद्भुत नमूना जो आप इस मंदिर में देख रहे हैं शायद ही जौनसार बावर में अन्य किसी जगह देखने को मिलेगा। जिस प्रकार की मान्यता एवं पूजा पद्धति केदारनाथ में है। उसी प्रकार का मन्दिर एवं पूजा इस गांव के केदारनाथ मन्दिर में भी होती है। लाखामण्डल से 12 किमी० की दूरी पर खत बौन्दूर का भटाड गांव है। यहां 24 परिवार बाह्वामणों सहित जिसमें 4 परिवार बाजगी है। कुल 40 परिवार यहां निवास करते हैं। यहां के मन्दिर का इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना केदारनाथ मन्दिर का।
ऐसी मान्यता है जो लोग इस क्षेत्र से केदारनाथ यात्रा पर जाते थे वह पहले इस स्थान पर मन्दिर के दर्शन करते थे उसके बाद आगे की यात्रा प्रारम्भ करते थे। इस स्थान पर भी पिड़ दान होते है। और अपने पित्रो का श्राद्ध भी यहां किया जाता है जिसकी बहुत मान्यता है।
15-16 जून 2013 को जब केदारनाथ में विषण आपदा आयी थी उसी दौरान भटाड गांव के इस केदार नाथ के प्राचीन मन्दिर की एक दीवार भी ध्वस्थ हुई थी।
लाखामण्डल क्षेत्र का पाण्डव से सम्बन्ध रहा है। इस प्राचीन मन्दिर एवं केदारनाथ की स्थापना को लेकर अनेक कहानियां भीम से जुड़ी हुई भी बतायी जाती है। इस मन्दिर में प्रतिदिन प्रातः प्राचीन शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। 11 से 12 बजे दिन मे पूजा की जाती है। संध्या के समय यहां आरती होती है। यहां के पुजारी को तामसी प्रवृति का भोजन वर्जित है।