वीर भूमि कभी वीरों से खाली नहीं रहती, शहीद केसरी चंद ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किये और आज उनके प्रपौत्र का चयन नौसेना में सब लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ है जिससे क्षेत्र में खुशी की लहर है। जौनसार बावर के क्यावा गांव के वीर शहीद केसरी चंद ने आजादी के लिए संघर्ष किया और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 3 मई 1945 को फांसी पर चढ़ा दिया था जौनसार बावर सहित संपूर्ण देश में सन्नाटा पसर गया था।
शहीद केसरी चंद के भतीजे पूर्व मुख्य विकास अधिकारी टीआर शर्मा तब छोटे थे वह मन ही मन सोच रहे थे कि भारतीय सेना के लिए मेरे घर से एक और नौजवान कैसे तैयार हो सकता है? उन्होंने अपने पौत्र की बचपन से ही ऐसी परवरिश की कि उनके पोत्र तन्मय शर्मा का देश के प्रतिष्ठित सैनिक विद्यालय RIMC देहरादून में चयन हो गया हो (यह सबको विदित है कि RIMC में उत्तराखंड के लिए केवल एक सीट रहती है) 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद जब तन्मय शर्मा पास आउट हुए तब उनके नाम RIMC में अनेक कृतिमान हो चुके थे।
टीआर शर्मा का सपना साकार हो रहा था तन्मय निरंतर अपने कीर्तिमान स्थापित कर रहे थे। RIMC ऑल इंडिया में 11वीं रैंक लाने पर उनका चयन एनडीए खड़कवासा में हो गया, उन्होंने तीन साल कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर उसके बाद 1 साल एझिमाला में प्रशिक्षित होकर जब 22 वर्षीय तन्मय शर्मा भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट बनकर देश के लिए पास आउट हो रहे थे तब पिता नवीन चंद्र और माता अमिता शर्मा उसके कंधे पर सितारे सजाते हुए अपने परिवार वीर की परंपरा को याद करते हुए गर्व की अनुभूति से प्रफुल्लित थे। और तन्मय शर्मा इन पंक्तियों को चरित्रस्थ कर रहे थे।